Raksha Bandhan 2025

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 रक्षाबंधन 2025 — पूरी जानकारी

रक्षाबंधन 2025: कब है? इस बार रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा जो औन-भाओ की और भाई-प्रेम की भावना का 

शुभ मुहूर्त (कब राखी बंधें?)


भाद्रा काल: सुबह 11:04 बजे के बाद


शुभ मुहूर्त: 11:04 AM से 08:17 PM तक (कुल अवधि: 9 घंटे 13 मिनट)


तिथि और समय


रक्षाबंधन इस वर्ष 9 अगस्त 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा ।


पूर्णिमा तिथि शुरू होगी 8 अगस्त दोपहर 2:12 बजे से और समाप्त होगी 9 अगस्त दोपहर 1:24 बजे तक ।

Raksha Bandhan 2025

Raksha Bandhan 2025

Raksha Bandhan 2025

Raksha Bandhan 2025

शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan Muhurat)


शीर्ष समय: सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक राखी बाँधना सबसे शुभ माना गया है ।


कुछ स्रोतों के अनुसार 5:21 बजे से 1:24 बजे मनाना और भी उत्तम है क्योंकि इस दौरान विशेष योग भी बन रहे हैं ।


पंचांग (Drik Panchang) के अनुसार, दिन का 'अपरण' समय (दोपहर बाद का समय) सबसे श्रेष्ठ है; यदि वह समय नहीं मिले तो 'प्रदोष' समय भी ठीक माना जाता है ।

ग्रहों का प्रभाव और ब्रह्मीय योग


इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन विशेष ज्योतिषीय संयोग (योग) चल रहे हैं — ऐसा संयोजन पिछली बार १९३० में ही हुआ था। इसलिए यह वर्ष शताब्दी का एक दुर्लभ और भाग्यशाली पर्व माना जा रहा है ।


भद्रा काल (Bhadra Kaal), जो अशुभ समय माना जाता है, इस वर्ष दोपहर बाद से समाप्त हो चुका होगा — इसलिए शुभ मुहूर्त सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है ।

रक्षाबंधन ब्लॉग (हिंदी में)


शीर्षक:


रक्षाबंधन 2025: शुभ मुहूर्त, ग्रह‑प्रभाव और सौभाग्य‑योग


मुख्य भाग:


रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन, अटूट भाई‑बहन के प्रेम और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है। बहनें राखी बाँधती हैं और भाइयों से उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा लेती हैं, जबकि भाई भी अपनी बहनों की सुरक्षा का वचन देते हैं ।


इस वर्ष की तिथि और समय


तिथि: 9 अगस्त, शनिवार


पूर्णिमा: 8 अगस्त 2:12 PM से 9 अगस्त 1:24 PM तक



सबसे शुभ समय


सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे तक


विशेष शुभ योग (सौभाग्य योग, शर्वार्थ सिद्धि योग) भी इसी दौरान चल रहे हैं जिससे यह समय और भी अधिक पवित्र बन जाता है ।

ग्रह‑योग और ज्योतिषीय दृष्टि


2025 में रक्षाबंधन का समय दुर्लभ और शक्तिशाली ग्रह‑योग संचालित है, जो पिछली बार 1930 में हुआ था ।


भद्रा काल समाप्त हो गया है, इसलिए कोई अशुभ प्रभाव नहीं — शुभ कार्य की अनुमति है ।



परंपरागत पूजा‑विधि (संक्षेप में)

1. स्वच्छता एवं स्नान

2. पारंपरिक वस्त्र पहनें

3. गणेश और अन्य देवों की पूजा करें, दीपक जलाएं

4. राखी थाली में रोली, अक्षत, मिठाई, राखी रखें

5. भाई की माथे पर तिलक करें, फिर राखी बाँधे

6. मिठाई खिलाएं, भाई से उपहार या आशीर्वाद प्राप्त करें7. सामूहिक भोजन और आनंद साझा करें 


विषय विवरण


तिथि 9 अगस्त 2025 (शनिवार)

पूर्णिमा अवधि 8 अगस्त 2:12 PM से 9 अगस्त 1:24 PM तक

शुभ मुहूर्त सुबह 5:47 बजे से 1:24 बजे तक (कुछ स्रोत 5:21 से अच्छा मानते हैं)

ग्रह‑योग दुर्लभ सौभाग्ययोग सक्रिय — पिछली बार 1930 में

भद्रा काल समाप्त — कोई अशुभ प्रभाव नहीं

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